(प्यार के परिंदों के लिए ये गीत)
आखिर आ ही गया...
तुमसे किया वादा
मेरे साथ रहा तेरा साया
पर्वत-नदी पार कर
दिन-रात पुकार कर
आखिर आ ही गया...
दिल भी क्या चीज है
ना देखूं तो मिलने की ख्वाहिश है
देख लूं तो खामोशी छाई है
वही तन्हाई बयां करने
आया हूं..
जानता हूं
फासलों का इम्तिहान
समझता हूं
बंदिशों का मान
आशिक हूं, आवारा हूं, खुदगर्ज नहीं
ठुकरा भी दो तो हर्ज नहीं
कहने यही आया हूं ...
- निशांत कुमार
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