थोड़ा
बचपन में झांके । और उस खुले आसामान को देखें जहां अनगिनत तारें हैं। क्या ये किसी
सपनों की दुनिया जैसा नहीं था ? जब
दिल करे तारों की गिनती शुरू कर दी । फिर भूलभुलैया में फंस गए तो ये मान लिया कि
जितने सिर में बाल उससे भी कहीं ज्यादा तारें आसामान में हैं । सितारों की इस
दुनिया में बड़ी सी आकृति, दुधिया सफेद जैसा चमकता गोला, के ऊपर छायादार आकृति को भी
कभी खरगोश, कभी हाथी और न जाने क्या, क्या समझते रहे। ये दुनिया भी दिलचस्प थी ।
लेकिन समय के साथ ज्यों-ज्यों हम बड़े हुए तो समझते देर नहीं लगी कि आखिर क्यों हम
आसामान में दिलचस्पी रखते थे ?
निगाहें घंटों टिमटिमाते तारों पर आकर क्यों अटक जाती थी ? हमारा उससे क्या संबंध था ?
सौर परिवार से परिचय और
धरती ग्रह है का ज्ञान सारे सपनों की वैज्ञानिक थ्योरी है । लेकिन मनुष्य का
सितारों की दुनिया से और भी रिश्ता है । हम जो देखते आए हैं, जो सुनते रहे हैं और
जिसे पढ़ा है,
उससे भी आगे कुछ ऐसा है जिस पर यकीन करना आसान नहीं है । लेकिन तर्क और सबूत हिला
देने वाले हैं और सोचने पर विवश भी करते हैं ।
इरिक
वॉन डेनिकेन (Erich von Däniken) ने ऐसी कई चीजों को जोड़ने की कोशिश की
है जो मानव सभ्यता की अब तक सारी जानकारी को चुनौति देता है । इस पर बहुत विवाद भी
है । लेकिन इरिक वॉन डेनिकन ने सोचने के तय पैमाना को बदलने की कोशिश की है । मसलन,
क्या वाकई मनुष्य दुनिया का सबसे ताकतवर जीव है...क्या मानव सभ्यता ब्रह्मांड में
सबसे समृद्ध है ? आखिर मनुष्य धरती पर क्यों है ?
इन
सवालों से कोई भी दंग रह जाएगा । लेकिन उससे भी हैरान करने वाली थ्योरी ये है कि
हमारी सभ्यता को दिशा देने का काम परग्रहियों ने किया था ? ये बात बहुत के गले नहीं उतरे। लेकिन परग्रहियों
में हमारी दिलचस्पी भी किसी से छिपी नहीं है। कई पेंटिंग, रीति-रिवाज और विशाल
कलाकृतियां जिसे प्राचीन सभ्यता की देन कहा जाता है । अगर उसका संबंध एलियन से
जोड़ा जाए, तो कुछ कड़ी जुड़ती है । यहां तक कि हम जिन्हें भगवान मानते हैं वो भी
एलियन के ईर्द-गिर्द घूमने लगता है । हालांकि गॉड की सत्ता है इस बात को नकारा
नहीं गया है लेकिन जिसे देवदूत मानकर मानव सभ्यता पूजता है कहीं वो एलियन तो नहीं
थे ? इस सवाल को भी सोचने पर विवश होना पड़ता
है ।
इरिक वॉन डेनिकेन किसी चीज को
चुनौति देने के मकसद से थ्योरी पेश नहीं कर रहे हैं । वो विज्ञान की परंपरागत सोच से
बाहर सोचने के लिए कह रहे हैं । डेनिकेन दुनिया के कई देशों में बेहतरीन
कलाकृतियों से रू-ब-रू हो चुके हैं । उनकी थ्योरी के पीछे वजह है उनके सवाल । जो कलाकृतियों,
पेटिंग और देवदूतों के किस्सों से उनके जेहन में पनपे । हो सकता है कि धरती पर
एलियन का वजूद हो । ये भी हो सकता है कि डेनिकन की थ्योरी गलत हो । लेकिन प्रचीन
परग्रहियों के विषय में उन्होंने सोचने का अंदाज तो जरूर ही बदल दिया है । टेलिविजन
पर भी एक चैनल(हिस्ट्री-18) पर एंसिएंट एलियन नाम का एपिसोड खूब चर्चा में है । इस
प्रोग्राम में एलियन और मानव सभ्यता के संबंध के तर्क सुने जा सकते हैं । ऐसी
बातों का कभी यकीन भी हो जाता है और कभी बचपन में सितारों की दुनिया का दृश्य चलने
लगता है ।