Saturday 11 August 2018

अमेरिका की 'आसमानी' सेना, सपने हकीकत की ओर

70 के दशक में हिंदुस्तान में Satellite Instructional Television Experiment (SITE) चर्चा में था । टेलीविजन में प्रयोग हो रहा था । इसी समय अमेरिका में साइंस फिक्शन हॉलीवुड फिल्म स्टार वार- ए न्यू होप आई थी । यानी उस समय अमेरिकी सोच हमसे कहीं आगे थी । 

आज भी है । हम राफेल फाइटर डील पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में उलझे हैं । हम एक डिफेंस डील करते हैं और फिर उसे चुनावी मुद्दा बनते देखते हैं । लेकिन अमेरिका स्पेस आर्मी के गठन की बात कर रहा है । 2020 तक यूएस स्पेस फोर्स के गठन की बात कही जा रही है । 

pic courtesy- The helios

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उप राष्ट्रपति माइक पेंस की इस घोषणा के बाद ट्वीट कर लिखा कि स्पेस फोर्स आ रही है। ट्रंप ने इस स्पेस फोर्स की प्रक्रिया को अपने 2020 के रीइलेक्शन कैंपेन से भी जोड़ दिया है ।

tweet

चीन और रूस से प्रतिद्धंदिता कह लें या फिर डर कि अमेरिका अंतरिक्ष को एक नया रणक्षेत्र बनाने जा रहा है ।
अंतरिक्ष तक पहुंच भारत की भी है । मंगल मिशन पर जाकर हमने अपनी तैयारियों से दुनिया को परिचित करा तो दिया है । लेकिन हमारे यहां सत्ता तक पहुंचने का रास्ता डिफेंस डील, महंगाई, वोटों का ध्रुवीकरण ही है । स्पेस-उस्पेस तक जब पहुंचेंगे तब पहुंचेंगे । हमारी गति ऐसी है कि हम जब विश्व गुरु होंगे तब अमेरिका यूनिवर्स गुरु होगा । 

कुछ विश्लेषक का ये भी कहना है कि अमेरिका जिस होड़ की शुरुआत कर रहा है वो खतरनाक है । कुछ ये भी मानते हैं कि ये ज्यादा खर्चीला भी है । जिसका असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है । फिर तो चीन-रूस के लिए अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देना और आसान हो जाएगा । 

वैसे अभी यूएस स्पेस फोर्स पर 'कांग्रेस' की अंतिम मुहर लगनी बाकी है । लेकिन इससे हमें क्या सीख मिलती है । यही कि राजनीति में सपने ही बेचे जाते रहे हैं । हमे सपना दिखाया गया बुलेट ट्रेन का, स्मार्ट सिटी का । और अमेरिकियों को स्पेस फोर्स का दिखाया जा रहा है ।

मैं इस तर्क को भी खारिज नहीं करता कि स्पेस से आने वाली चुनौतियां नहीं हैं । अमेरिका ने अगर इतने खर्चीले फोर्स बनाने की सोची है । तो उसके लिए फंड कहां से आएंगे ये भी जरूर ही सोचा होगा । 

अब थोड़ा फिल्मी हो जाइए । और सोचिए यूएस स्पेस फोर्स के बारे  में । ये किस तरह स्टार वार, अवतार जैसी फिल्मों से अलग होगा । इसकी ब्रेकिंग न्यूज धरती पर किस अंदाज में पढ़ी जाएगी । मैं तो पॉपकॉर्न खाते हुए ही ये न्यूज देखना चाहूंगा ।



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