Saturday 4 August 2018

2018 में 1971 का 'बेरोजगारों का गीत'


4 अगस्त को मध्य प्रदेश के जिलों में रोजगार मेलों की धूम रही । सरकारी तंत्र की मुस्कान से लगा कि बेरोजगारी को दूर करने के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं । राजनीति में पक्ष और विपक्ष की जंग तो चलती रहेगी  लेकिन शिवराज सरकार की मंशा अच्छी है ।
जब जितेंद्र माथुर ने अपनी आपबीती सामने रखी । फिर ज्यादा देर तक रोजगार मेले का असर जेहन में नहीं रह पाया ।

'रोजगार के नाम पर सरकार ठग रही है'
कैसे ?
'अभी देखो ये परीक्षा भी निरस्त हो गई'
कौन-सी ?
अरे मैंने फॉर्म भरा था.. 

मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के तहत प्लांट एसिस्टेंड फॉर इलेक्ट्रिक पद के लिए परीक्षा होनी थी । उसे निरस्त कर दिया गया । चार-पांच दिन बीत चुके । कोई सूचना भी नहीं दी गई । परीक्षा के लिए जो 1000 रुपए फीस भरी थी उसका भी फिलहाल अता-पता नहीं है ।


 

जाहिर है अकेले जितेंद्र ही चिंता में नहीं है । संख्या हजारों में होगी । या फिर ज्यादा भी । इन लोगों का रोजगार का सपना अब सस्पेंस के हवाले है । और उधर रोजगार मेले से नए सपने दिखाने की शुरुआत भी कर दी गई है । लेटर ऑफ इंटेंट बांटे गए हैं । 

भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में शुमार है । लेकिन रोजगार के नाम पर हवा-हवाई ही है ।
और क्या कहूं...2018 में 1971 में आई फिल्म मेरे अपने में गुलजार का लिखा गीत ही गुनगुना लेता हूं...

''हाल चाल ठीक ठाक है, सब कुछ ठीक ठाक है
B.A.किया है, M.A.किया, लगता है वो भी अंयवय किया
काम नहीं है, वरना यहाँ, आप की दुआ इस सब ठीक ठाक है...''




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