फोटो साभार- The Hindu |
संविधान संशोधन का अधूरा सपना:
संविधान में संशोधन की आवश्यकता पर विचार करने के लिए 1 फरवरी, 2000 को संविधान समीक्षा के राष्ट्रीय आयोग का गठन किया गया । 6 महीने का वक्त दिया गया। उस वक्त ये अंदेशा जताया गया था कि जिस संविधान को तैयार करने में तीन साल के करीब वक्त लगा उसकी समीक्षा छह महीने में कैसे होगी ? लेकिन 249 सिफारिशें सामने आईं । सुप्रीम कोर्ट के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश एम एन वेंकटचलाइया के अगुवाई वाले आयोग ने रिपोर्ट तैयार की थी । पर इसका बड़े पैमाने पर विरोध हुआ , जिसके बाद ये काम भी आगे नहीं बढ़ पाया ।
नदी जोड़ो योजना:
नदी जोड़ो योजना में गंगा सहित 60 नदियों को जोड़ने की योजना थी । इरादा था कि इससे कृषि योग्य लाखों हेक्टेयर भूमि की मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी । एक कार्य दल का गठन भी किया गया । परियोजना को दो भागों में बांटने की सिफारिश की गई । पहले हिस्से में दक्षिण भारतीय नदियां शामिल थीं जिन्हें जोड़कर 16 कड़ियों की एक ग्रिड बनाई जानी थी । दूसरे में गंगा, ब्रह्मपुत्र और इनकी सहायक नदियों के पानी को इकट्ठा करने की योजना बनाई गई । लेकिन तब तक 2004 में यूपीए की सरकार आ गई । मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया ।
अयोध्या का हल:
साल 1999 से 2004 के दौरान एनडीए की सरकार में अटल ने अयोध्या बाबरी विवाद को सुलझाने के लिए कोशिशें शुरू की । कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती ने साल 2010 में दावा किया था कि वह अयोध्या मामले का हल निकालने के करीब पहुंच गए । लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इससे जुड़ा मामला पहुंचने की वजह से ये खटाई में पड़ गई ।
पड़ोसी के साथ शांति:
21 फरवरी 1999 में पाकिस्तान में दिए अपने भाषण में अटल ने कहा था- पाकिस्तान फले फूले हम चाहते हैं और हम फलें-फूलें यह आप भी चाहते होंगे । इतिहास बदला जा सकता है, मगर भूगोल नहीं बदला जा सकता ।आप दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं बदल सकते, तो अच्छे पड़ोसी के नाते रहें। अटल ने रिश्ते सुधारने की दिशा में दिल्ली लाहौर बस सेवा शुरू की । खुद सवार होकर जोखिम भरा सफर तय कर पाकिस्तान पहुंचे । लेकिन बाद में उन्हें करगिल युद्ध का सामना करना पड़ा । फिर भी बड़ा दिल दिखाया युद्ध के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले परवेज मुशर्रफ़ को आगरा बुलाया ।
कश्मीर समस्या का हल:
कश्मीर को लेकर अटल बिहारी वाजपेयी के फॉर्मूले की कई बार बात सामने आ चुकी है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने हालिया भाषण में कश्मीर की समस्या को सुलझाने के लिए वाजपेयी के रास्ते पर चलने की बात कही है । माना जाता है कि आगरा शिखर सम्मेलन में मुशर्रफ़ और वाजपेयी ने कश्मीर की समस्या का हल निकाल ही लिया था । लेकिन ये भी सफल नहीं हो सका ।
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