आधुनिकता हाथियों के लिए मुसीबत बन गई । भारत में जंगलों से गुजरने वाली ट्रेने इनके लिए यमदूत साबित होने लगी...हमारे देश में हर साल औसतन 17 हाथी रेल दुर्घटना का शिकार होते हैं ।
2017 में 12 हाथियों ने जान गंवाईं । वहीं 2016 में इनकी संख्या 16 थी । आंकड़े कहते हैं 2009 से 2017 के बीच (8 सालों में) करीब 120 गजराज हादसे का शिकार हुए ।
लेकिन रेलवे ने इसे एक जंगल के ही तरकीब से हल किया । हाथी जिससे डरते थे, उसी से उनकी रक्षा होने लगी है ।
पहले पढ़िए रेल मंत्री पीयूष गोयल का ये ट्वीट-
रेलवे ने हाथियों को ट्रेन हादसों से बचाने के लिए "Plan Bee" के तहत रेलवे-क्रासिंग पर ऐसे ध्वनि यंत्र लगाए हैं जिनसे निकलने वाली मधुमक्खियों की आवाज से हाथी रेल पटरियों से दूर रहते हैं और ट्रेन हादसों की चपेट में आने से बचते हैं।
हाथी मधुमक्खियों की 'हम्म' ध्वनि से 400 मीटर दूर से ही सुन लेते हैं । औसतन 100 मीटर की दूरी बनाकर रखते हैं । और आस-पास भटकने का जोखिम नहीं लेते ।
अफ्रीका में जो किसान हाथियों से परेशान रहते हैं । या जिन इलाकों में हाथियों उत्पात मचाते रहते हैं । वहां मधुमक्खी पालन की सलाह दी गई है । संभवत: ये तरकीब पूरी दुनिया में वहीं से फैली है ।
केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है मधुमक्खी का छत्ता खा लेने वाला एक कैटरपिलर प्लास्टिक भी खा सकता है । सोचिए अगर मधुमक्खी ना होती तो ये प्लास्टिक के खतरे से निपटने की ये उम्मीद भी नहीं दिखती ।
मधुमक्खी की ध्वनी 'हम्म' हाथियों की जान बचाती है । लेकिन इसका इस्तेमाल योग और ध्यान में भी तो होता है ।
भ्रामरी प्रणायाम में मधुमक्खियों की आवाज का इस्तेमाल किया जाता है । इसे बी-टेक्निक ब्रीदिंग भी कह सकते हैं । भ्रामरी से चिंता और क्रोध पर नियंत्रण रहता है । हाइपरटेंशन की शिकायत में इससे फायदा मिलता है ।
मधुमक्खियों के जरिए इकठ्ठी शहद स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है । 20 मिनट में इसके पोषक तत्व रक्त में पहुंच जाते हैं। क्योंकि ये पहले से ही मधुमक्खियों द्वारा पचाया गया होता है ।
मधुमक्खी में सूंघने की जबरदस्त शक्ति होती है । 170 रिसेप्टर्स पाए जाते हैं । भविष्य में बम और ड्रग्स ढूंढने अगर इनका इस्तेमाल हो तो कोई आशचर्य नहीं ।
कुछ शोधकर्ता ने ये भी पाया है कि इनके डंक से निकला जहर गठिया के लिए काफी लाभप्रद है..
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन मानते थे कि अगर पृथ्वी से मधुमक्खियां खत्म हो गईं तो मनुष्य जाति भी बहुत साल जीवीत नहीं रह पाएगी ।
2017 में 12 हाथियों ने जान गंवाईं । वहीं 2016 में इनकी संख्या 16 थी । आंकड़े कहते हैं 2009 से 2017 के बीच (8 सालों में) करीब 120 गजराज हादसे का शिकार हुए ।
लेकिन रेलवे ने इसे एक जंगल के ही तरकीब से हल किया । हाथी जिससे डरते थे, उसी से उनकी रक्षा होने लगी है ।
फोटो साभार गूगल |
पहले पढ़िए रेल मंत्री पीयूष गोयल का ये ट्वीट-
रेलवे ने हाथियों को ट्रेन हादसों से बचाने के लिए "Plan Bee" के तहत रेलवे-क्रासिंग पर ऐसे ध्वनि यंत्र लगाए हैं जिनसे निकलने वाली मधुमक्खियों की आवाज से हाथी रेल पटरियों से दूर रहते हैं और ट्रेन हादसों की चपेट में आने से बचते हैं।
हाथी मधुमक्खियों की 'हम्म' ध्वनि से 400 मीटर दूर से ही सुन लेते हैं । औसतन 100 मीटर की दूरी बनाकर रखते हैं । और आस-पास भटकने का जोखिम नहीं लेते ।
अफ्रीका में जो किसान हाथियों से परेशान रहते हैं । या जिन इलाकों में हाथियों उत्पात मचाते रहते हैं । वहां मधुमक्खी पालन की सलाह दी गई है । संभवत: ये तरकीब पूरी दुनिया में वहीं से फैली है ।
केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है मधुमक्खी का छत्ता खा लेने वाला एक कैटरपिलर प्लास्टिक भी खा सकता है । सोचिए अगर मधुमक्खी ना होती तो ये प्लास्टिक के खतरे से निपटने की ये उम्मीद भी नहीं दिखती ।
मधुमक्खी की ध्वनी 'हम्म' हाथियों की जान बचाती है । लेकिन इसका इस्तेमाल योग और ध्यान में भी तो होता है ।
भ्रामरी प्रणायाम में मधुमक्खियों की आवाज का इस्तेमाल किया जाता है । इसे बी-टेक्निक ब्रीदिंग भी कह सकते हैं । भ्रामरी से चिंता और क्रोध पर नियंत्रण रहता है । हाइपरटेंशन की शिकायत में इससे फायदा मिलता है ।
मधुमक्खियों के जरिए इकठ्ठी शहद स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है । 20 मिनट में इसके पोषक तत्व रक्त में पहुंच जाते हैं। क्योंकि ये पहले से ही मधुमक्खियों द्वारा पचाया गया होता है ।
मधुमक्खी में सूंघने की जबरदस्त शक्ति होती है । 170 रिसेप्टर्स पाए जाते हैं । भविष्य में बम और ड्रग्स ढूंढने अगर इनका इस्तेमाल हो तो कोई आशचर्य नहीं ।
कुछ शोधकर्ता ने ये भी पाया है कि इनके डंक से निकला जहर गठिया के लिए काफी लाभप्रद है..
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन मानते थे कि अगर पृथ्वी से मधुमक्खियां खत्म हो गईं तो मनुष्य जाति भी बहुत साल जीवीत नहीं रह पाएगी ।
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